देखा मैंने जब अब
देखा मैंने जब अब
अपने को अपनों में
ना था मै कंही....२
देखा मैंने जब अब
अपने को अपनों में
खोया था बस मै अपने से
अपनों के लिये
गुम था मै अपने ही नजरों से
ना था मै कंही....२
देखा मैंने जब अब
अपने को अपनों में
रहा मै सब में
अपने में मै कभी भी ना रहा
खोजा मैंने सब में मैं ही ना मिला
ना था मै कंही....२
देखा मैंने जब अब
अपने को अपनों में
देखा मैंने जब अब
अपने को अपनों में
ना था मै कंही....२
देखा मैंने जब अब
अपने को अपनों में
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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