अंधेरों का सफर है
अंधेरों का सफर है उजालों की तरफ है
बह जाती है जिंदगी रह जाता बस असर है
अंधेरों का सफर है.....
दिल के आईने में किस ने दी दस्तक है
टूटे किनारों पे लहरों की बस हलचल है
अंधेरों का सफर है.....
स्पर्श हुआ कुछ ऐसे अनछुआ सा जैसे
कभी सुख कभी दुःख का मन समंदर है
अंधेरों का सफर है.....
लड़ता जाता अकेले , जाना किधर है
बह रही पहाड़ों से सागर में मिलन है
अंधेरों का सफर है.....
अँधेरे और उजाले ये तो आते जाते रहेंगे
सफर चलता रहेगा तेरे जाने के बाद भी
अंधेरों का सफर है.....
अंधेरा ही तेरी आज असली पहचान है
निकल सका तो तब तेरा ही सन्मान है
अंधेरों का सफर है.....
अंधेरों का सफर है उजालों की तरफ है
बह जाती है जिंदगी रह जाता बस असर है
अंधेरों का सफर है.....
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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