एक नया घरोंदा
घरोंदा मेरे सपनों का
घरोंदा मेरे अपनों का
गोलकार घरोंदे के वो घेरे
मेरे घरोंदे के थे वो पहरे
यादों का सरमाया है
अपनों ने बस फरमाया है
चोंच डाल चुगया था कभी
अब वो चोंच मुझ पर गुराया है
तिनका तिनका जोड़ा था कभी
अब ताड़ ताड़ उसे पाया है
दूर अकेला करके मुझे उसने
फिर एक नया घरोंदा बनाया है
कल बारी थी मेरी
अब उसको मेरी जगह पाया है
देखा ना टूटे स्व्प्न उसके
कभी मैंने जो सजाया था
करनी थी उसकी
पीछे पीछे उसके आ खड़ी
जिस जगह मै कल था खड़ा
आज मैंने उसे वंहा खड़ा पाया है
घरोंदा मेरे सपनों का
घरोंदा मेरे अपनों का
गोलकार घरोंदे के वो घेरे
मेरे घरोंदे के थे वो पहरे
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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