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ईमानदारी


ईमानदारी

ईमानदारी ना ही खरीदी जाती
ना ही वो किसी बजार में बेचीं जाती
वो तो एक रूहानी रूह है
बस महसूस कि जाती
आँखों में वो यूँ उत्तर जाती
सच्चाई अपने आप बयां कर जाती

प्रामाणिकता आज बाँधी गयी
सत्यता कटुता से अब दबा दी गयी है
निष्कपटता में एक दिन तो उछाल आयेगा
शुध्द अन्तःकरण ही काम आयेगा
धर्मशीलता परायण गाथ गायेगा
सत्यरक्षा नीतिपरायणता कि खराई गयी है

कंही तो छुपी होगी वो तुझ में
झूठ के हजारों पर्दों के आड़ में वो पीछे
कचोटत होगा वो तेरा मन तुझको
अफ़सोस तो होता होगा किसी को ठगा कर
उस पल को प्रकाशित कर जीवन में
ईमानदारी प्रकाशित तब होगी तेरे मन

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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