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ऐसे मै अपना दुःख हल्का करता हूँ


ऐसे मै अपना दुःख हल्का करता हूँ

बैठा कर अकेले में
ले के बीते दिनों के सुख-दुःख के झमेले को
अपने से एकांत में खुद से ही बतियाता हूँ
ऐसे मै अपना दुःख हल्का करता हूँ !

खो जाता हूँ अपने सवालों में
अनगिनत अनसुलझे अपने ही विचारों में
उस उत्तर कि आस में मैं अपने आसूं में भीग जाता हूँ
ऐसे मै अपना दुःख हल्का करता हूँ !

बस सिसक निकलती है दिल से
अपने में संभल पाता है वो बड़ी मुश्किल से
लड़ने खड़ा होता है फिर से वो आने वाले कल से
ऐसे मै अपना दुःख हल्का करता हूँ !

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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