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अपने हरम में


अपने हरम में

अपने हरम में वो बेरहम
बहे बस तेरे वो यादों के गम

एक एक पल मेरा
गुजरा वो तेरे संग
वो हर तेरी कही बात
अब भी मेरे संग

अपने से लिपटे रहते हैं वो अब भी
तू लिपटी अब गैरों के संग

टूटता है वो दिल
ना अब जोड़ सकेगा
तेरा दिया जख्म
पल पल मुझसे कहेगा

खुश रहे तू सदा दे दे और वो तेरे गम
हम रहे ना रहे ख़ुशी से खिले तेरा चमन

गुजरिश है इतनी
याद गर आ गये हम
अपनी ये सुंदर आँखें
ना करना तुम कभी नम

अपने हरम में वो बेरहम
बहे बस तेरे वो यादों के गम

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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