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सब लगाते


सब लगाते

सब लगाते आरोप यंहा
ऊँगली उठती अब आमने सामने

कौन सोचेगा कौन समझेगा
बस सत्ता का खेल यंहा चल रहा

नाच रही है आम बिना दाम ही
मदारी बने सफ़ेदपोश खड़े यंहा

कान,मुंह बंद आँखों में पर्दा पड़ा
सदियों से मन एक प्रश्न उठ रहा

होगा हल इस प्रश्न का इस हाल में
चल मन वोट करें अपने कर्म का

सब लगाते आरोप यंहा
ऊँगली उठती अब आमने सामने

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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