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मेरी लिखी गजल


मेरी लिखी गजल

मैखाने सजती रही वो मेरी लिखी गजल,
मय साथ वाह वाह लुटाती रही वो मेरी गजल ।

दर्द मेरा बहता रहा पैमाने संग छलक छलक,
मध्यम रोशनी में गीली होती रही गमगीन वो लहक ।

पल पल मदहोश होता रहा समा दिल धड़क धड़क.
होश खोता रहा बस कि मैं रोता रहा वो पहर सहर।

चंद हसरतों की जमी थी दिल पर वो एक टूटी परत,
आँख को मलती रही गजल मेरी वो बहती ही रही ।

मैं कुछ कह नही पाया उस वक्त को सह नही पाया,
बात अक्षरों में लिखी जब मैंने वो बन गयी मेरी गजल ।

मैखाने सजती रही वो मेरी लिखी गजल,
मय साथ वाह वाह लुटाती रही वो मेरी गजल ।

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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