बस अब चलना होगा
बस अब चलना होगा
मोमबत्तियों का ले ले सहारा
उस पथ पर आगे बढ़ना होगा
एक एक कर जोड़ना होगा
खींच कर ले आयी है
घड़ी विपदा कि सबको साथ
घटना घटित होते कुछ करना होगा
वस्तविकता से लड़ना होगा
ना मुंहा छुपा ना आंसूं बहा
एक जुटता बाद नही पहले दिखा
आत्म-समर्पण से सिहरीं जब वो
क्यों आये लोक-लाज बेदी चढ़ने बाद
क्या मिलेगा लूट जाने बाद
तेरी पहल उसकी अस्मत बचा लेगी
किसी अबला बिगड़ती किस्म्त
वो एक तेरी पहल संवार लेगी
ना मोमबत्तियां जलना होगा
बस हसना खिलखिलाना होगा
देश मेर बेमिसाल होगा तब
एक एक कि लाज बचना होगा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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