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कोई तो देखे मुझे


कोई तो देखे मुझे

कोई तो देखे मुझे
करदे वो दो निगाहें करम
मेरे होने का अहसास हो मुझे
जगा दे दिल के सोये जजबात सनम
कोई तो देखे मुझे ..........

वो कशिश हो उन आखों कि
जरा मोड़े और हो यंहा भी इनायत
हरारत हो जाये इस जिस्म
नूर खिले मोहब्बत का ये दिल के चमन
कोई तो देखे मुझे ..........

तेरे देखने कि बात है बस
सब कुछ आ जायेगा तुझको तब समझ
इन आँखों से उन आँखों का जब होगा मिलन
मंजिल मिलेगी बस तेरे दिखने भर से सनम
कोई तो देखे मुझे ..........

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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