माँ बोल के कोई
माँ बोल कोई , आवाज देता है
कानों आवाज आते ही , दुखी हो जाता हूँ
किसको आवाज दूँ , मंर गयी कौनसे कोठार में
माँ किस को बोलूं मै, माँ ना घर ना दार में
चार मुख पिल्लों , चिड़िया चुपके देती दान
गोठयार बछड़ों को, जीभ चाटती गाय माता
वात्सल्य ये देख के, व्याकूळ मन हुये
बैठ अकेले में खुद से मन , माँ माँ बोले
आजा तू घर में , मोड़ के माँ भाग के आ ?
रूठूँगा ना कभी अब , गुस्से में अगर तूने बोल भी दिया
माँ किस को बोलूं मै, माँ ना घर ना दार में
स्वामी तीनों जग का , माँ बिना वो भी भिकारी
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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