जिस -जिस मुख से निकले कटु सत्य ,उस-उस मुख को धन्यवाद कर
हर पग लड़ना गर तुझे कुछ करना है
उन्हें सदा तेरे पास-पास साथ रख अगर आगे तुझे बढ़ना है
जिस -जिस मुख से निकले कटु सत्य ,उस-उस मुख को धन्यवाद कर
आगे-पीछे दांयें-बाएँ , मीठे शब्दों के जो बाण चलाये
ऐसे मुख को सदा परे रख अनदेख कर तू उसे छोड़ आगे बढ़
जिस -जिस मुख से निकले कटु सत्य ,उस-उस मुख को धन्यवाद कर
अपने तक ना सीमित रख साँसे, अश्रु तेरा गर जो तेरे समुख बहा दे
वो ही सच्चा है तेरा फूल में नही जो तुझे काँटों पे चलना सिखा दे
जिस -जिस मुख से निकले कटु सत्य ,उस-उस मुख को धन्यवाद कर
कैसे पता चलता है अंतर कर अपने मन का तो अब मंथर
अन्धेरा फिर प्रकाशित होगा कड़वा शब्द एक दिन वो मीठा होगा
जिस -जिस मुख से निकले कटु सत्य ,उस-उस मुख को धन्यवाद कर
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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