वादा है मेरा
आप जैसे
मित्रों को छोड़ कर
मै कैसे जी पाऊँगा
आपने रोका है मुझे
दो कदम आप बिन
मै अब कैसे चला पाऊँगा
आपकी बातों ने
झंझोड़ा है है मुझे
अँधेरे से उजाले कि ओर
फिर मोड़ा है मुझे
फर्ज दोस्ती का
निभाया है आपने
ये कर्ज कैसे चुकाऊंगा मैं
ऋण आपक ये मेरे सर
लडूंगा अब मैं अपने संग
सुबह नही तो शाम कभी
दिखूंगा मैं कभी रात सही
फेस-बुक बस तेरा साथ सही
अब ना कभी आप को
मैं अब छोड़ के जाऊँगा
वादा है मेरा आपसे
आखरी साँस तक निभाऊंगा
आप सबको ध्यानी प्रणाम
फिर लौट आया
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ