झौल है
झौलम झौल झौल है
दुनिया बड़ी गोल है
बस मीठे वो बोल है
बजाते अब वो ढोल है
झौलम झौल झौल है
दुनिया बड़ी गोल है
नमक मर्च मसाला
कड़वा करेला चोर है
जिलेबी कि तिरछी लड़ी
अब लगती है वो भली
झौलम झौल झौल है
दुनिया बड़ी गोल है
ना संगा ना साथी है
राजनीती हमें भाति है
रोटी छिनी गरीबों कि
अमीरों कि वो दात्री है
झौलम झौल झौल है
दुनिया बड़ी गोल है
कठपुतली का खेल है
रस्सी कि बस खेंचा खेच है
नाचे वो अपने कब मन से
जन्मों जन्मों कि वो रेल है
झौलम झौल झौल है
दुनिया बड़ी गोल है
बस मीठे वो बोल है
बजाते अब वो ढोल है
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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