पहाड़
प..पराई रातों में
हा..हार गये राहों में
ड़..डगर वो उलझी मेरी
प..पिछले बातों में
हा..हमेशा उन निगाहों में
ड़..डगर वो अनजानी मेरी
प..पल पल वो कल कल
हा.. हाँ हमेशा वो मेरे संग
ड़..डगर वो सुखी नदियां मेरी
प..पद वो जो छोड़ चले
हा..हसरत है एक दिन लौटेंगे वो
ड़..डगर जो छोड़ चुके मेरी
प..पछताना ना
हा..हाँ पास मेरे तो आ जाना
ड़..डगर इंतजार अब भी खड़ी मेरी
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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