मन जब बस राम राम बोले
मन जब बस राम राम बोले
मधुर मिठास इस जग में घुले
मन जब बस राम राम बोले
ना सुख कि चाह है ना दुःख कि चिंता है
जब राम नाम से जुडी जीवन नैया है
मन जब बस राम राम बोले
सबरी के झूठे फल लगे मीठे मीठे
केवट के तट मिल जाते पद छूटे
मन जब बस राम राम बोले
मै नही कहता अब मनवा कहता है
प्रभु दिनदयाल मेरे तन मन बस्ता है
मन जब बस राम राम बोले
मन जब बस राम राम बोले
मधुर मिठास इस जग में घुले
मन जब बस राम राम बोले
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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