ADD

मेरी बात ना सुनो


 मेरी बात ना सुनो

मेरी बात ना सुनो
मै कुछ भी कह देता हूँ
सूरज को चाँद मै कह दूँ
अब मै रात को दिन कहता हूँ

मेरी बात ना सुनो
मै कुछ भी कह देता हूँ

सच्चा यंहा पर मरता है
झूठा सर पर अब ताज पहनता है
आखिर कि सोचता अब कौना है
सब आज बस आज में जीते हैं

मेरी बात ना सुनो
मै कुछ भी कह देता हूँ

किसी कि कौन यंहा सुनता है
बस वो अपने में लगा रहता है
राग अलापता रहता है
बेसुरा अब उसे सारा जग लगता है

मेरी बात ना सुनो
मै कुछ भी कह देता हूँ
सूरज को चाँद मै कह दूँ
जब मै रात को दिन कहता हूँ

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ