नमन मेरा
माँ पिताजी का सदा साथ रहे
शीश में दोनों का हाथ रहे
माँ निर्मल गंगा जल कल-कल
पिता हिमाल सा मन उज्वल
परिवार में इन से मान रहे
घर में सदा मेरे ये भगवान रहे
एक मधुर वाणी कि सरगम
एक कठोर व्यक्तित्व हरपल
खुला है घर का दर आदर से
ओढ़ी ममता कि चादर सादर से
इनसे ही सदा मेरी पहचान रहे
धक धक करते साँसों सदा अहसास रहे
दोनों हाथों को जोड़े खड़ा हूँ मै
नमन मेरा माँ पिताजी स्वीकार करें
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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