बिका यंहा सब कुछ यंहा
नाम काम ईमान धर्म
बिका यंह इंसान का कर्म
खरीदार हो मोल लगाओ... .2
ऊँचे दाम दो उसे ले जाओ
बिका यंहा सब कुछ यंहा
बात कर लो अब इसकी
देखो बिकी सूरज किरण
बूंद बूंद पानी की धार कहे
लगाये पैंसों का अम्बार यंहा ... .2
बिका यंहा सब कुछ यंहा
सांसों पर उधारा रहा
पर्वतों से कंहा अब किसे प्यार रहा
नदियों का रोज चिर- हरण
समंदरों पर इंसानों का ग्रहण ... .2
बिका यंहा सब कुछ यंहा
पेड़ों का रोज तन टूटा
अपनों का पल पल संग छूटा
अंग अंग बिका यंहा
आसमान भी लूटा खड़ा यंहा ... .2
बिका यंहा सब कुछ यंहा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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