आधा आधा बाँटा हुआ
आधा आधा बाँटा हुआ
चार हिस्सों से जुड़ा हुआ
मैं और घर मेरा
सारे सपने अपने मुझसे जुड़े हुये
आधा आधा बाँटा हुआ
उत्तर दखन पूरब पश्चम
चार दिशायें वो चार हैं राहें
जाऊं तो जाऊं किधर
ये मै हूँ ये है मेरा रहबर
आधा आधा बाँटा हुआ
कोई ले जाये यंहा कोई वँहा
चुपचाप हूँ मै अल्फाज खोये कंहा
वसूल मेर कैसे छोड़ दों मैं
अपने कर्म से कैसे पथ मोड़ दों मैं
आधा आधा बाँटा हुआ
मन मारों तन हारों
उनके लिये क्या क्या ना करूँ
फिर भी अधूरा वो और मैं
पकड़ों किसे किसे छोड़ों किसे
आधा आधा बाँटा हुआ
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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