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कुछ कह गयी


कुछ कह गयी

कुछ कह गयी ख़ामोशी आज
बैठा रहा मैं बैठा रहा
कुछ कह गयी.............

खामोश मन
खामोश तन
खामोश जर्रा जर्रा
खामोश लह्मा

आहें भरती रही ख़ामोशी आज
धड़कती रही ख़ामोशी आज
बैठा रहा मैं बैठा रहा
कुछ कह गयी.............

खामोश साँसे
खामोश बाते
खामोश है पल
खामोश रातें

बैठी अकेली वो दो निगाहें
कैसे बतायें खामोश है ख़ामोशी आज
बैठा रहा मैं बैठा रहा

कुछ कह गयी ख़ामोशी आज
बैठा रहा मैं बैठा रहा
कुछ कह गयी.............

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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