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अब गर्मियां शुरु हो गयी है


 अब गर्मियां शुरु हो गयी है

अब गर्मियां शुरु हो गयी है
प्रवासी पहाड़ी को घर कि याद आयी है
बोझा-बिस्तर बाँध कर वो
पहली हवाई जहाज पहली रेल पहली बस मे आज वो
चल पड़ा है पहाड़ी अपने छोड़े पथ मे फ़िर आज
अब गर्मियां शुरु हो गयी है ……

मीठी गोली कि टॉफी गोल्कोस बिस्किट पैकेट
एक टोर्च दूर तक प्रकाशमान अँधेरे के लिये
दो काले कंबलों कि जोडी ठंडी अगर लग गयी
एक थर्मस गरम चाय के लिये
थोड़े सब्जी आलू जीरे धनिया डाला पुरी साथ सफर के लिये
चल पड़ा है पहाड़ी अपने छोड़े पथ मे फ़िर आज
अब गर्मियां शुरु हो गयी है ……

ढेर सार प्यार मफलर के साथ
कुछ नई पुरानी याद आँखों मे वो आज लिये
चित्र उभार रहा अपने आप से वो बिता ख्याल लिये
वो ऐसे होगा वो तै से होगा ना जाने कैसे होगा
रेखांकित करता अपने छोडे रेखाओं को
एक आकर देने वो अब चला
चल पड़ा है पहाड़ी अपने छोड़े पथ मे फ़िर आज
अब गर्मियां शुरु हो गयी है ……

अब गर्मियां शुरु हो गयी है
प्रवासी पहाड़ी को घर कि याद आयी है
बोझा-बिस्तर बाँध कर वो
पहली हवाई जहाज पहली रेल पहली बस मे आज वो
चल पड़ा है पहाड़ी अपने छोड़े पथ मे फ़िर आज
अब गर्मियां शुरु हो गयी है ……

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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