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क्या और चाहिये हम बूढ़ों को


क्या और चाहिये हम बूढ़ों को

थोड़ा सा प्यार अपनों का
बस थोड़ा सा प्यार अपनों को
क्या और चाहिये हम बूढ़ों को

देख ले बस प्यार कि एक नजर …२
काट जायेगी उम्र बस इस ख्याल मे
की अपना कोई अब भी
देखता है मुझको अब भी उसी नजर

थोड़ा सा साथ अपनों का
बस थोड़ा सा साथ अपनों का
क्या और चाहिये हम बूढ़ों को

बैठ जा दो घड़ी पास मेरे तु …२
वक्त दे दे तेरा थोड़ा सा मुझको तु
वो अहसास तेरा मेरी बची जिंदगी में
इस तरहा घुल जायेगा मेरा ये वक्त गुजर जायेगा

थोड़ा सा बस और थोड़ा सा …२
बचा है सफर अब मेर थोड़ा सा
मंजिल तक तुम अब मेरा साथ दे देना
मुझे चार कंधे और थोड़ी सी आग दे देना

थोड़ा सा प्यार अपनों का
बस थोड़ा सा प्यार अपनों को
क्या और चाहिये हम बूढ़ों को

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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