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उदास कमरें में


 उदास कमरें में

काफी चहल-पहल है दिल के उदास कमरें में
अभी अभी किसी ने दस्तक दी है उसी कोने में
काफी चहल-पहल है दिल के उदास कमरें में

बड़े दिनों के बाद आज कोई यंहा पर भटका है
भुला है वो रास्ता या फिर उसका गम मेरे जैसा है
काफी चहल-पहल है दिल के उदास कमरें में

बैठा अब भी वंहा जब से आया वो इस हिस्से में
निकल ने की कोशिश की पर मै हरा अपनी किस्मत से
काफी चहल-पहल है दिल के उदास कमरें में

अब तो रास आने लगा है उसको ऐसे जीने में
दरवाज दोनों बंद करके इस दिल के उदास कमरें में
काफी चहल-पहल है दिल के उदास कमरें में

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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