रहने दे
रहने दे छेड़ ना मुझको तू
बिच बजरिया यूँ रोक ना तू
रहने दे छेड़ ना मुझको तू
तेरी छेड़ छेड़ लगती है भली
किस चौहराये गली ये तुझ से अँखियाँ लड़ी
बाण नैनों के यूँ ना छोड़ना तू
रहने दे छेड़ ना मुझको तू
बिच बजरिया यूँ रोक ना तू
रहने दे छेड़ ना मुझको तू
हर मोड़ हर छोड़ पर ना रोकना तू
गोल गोल मेरे पीछे ना मोड़ना तू
लाज शर्म ना छोड़ी मैंने अब तक
रहने दे छेड़ ना मुझको तू
बिच बजरिया यूँ रोक ना तू
रहने दे छेड़ ना मुझको तू
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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