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ख़ुशी वो बिखरी


 ख़ुशी वो बिखरी

ख़ुशी वो बिखरी बिखरी सी
कुछ मेरे पास थी कुछ वो तेरे पास थी
ख़ुशी वो बिखरी बिखरी सी …… २

समेटना ना आया ना सहेजना ही आया
कभी वो मेरे पास थी कभी वो तेरे पास थी
ख़ुशी वो बिखरी बिखरी सी …… २

उदास लगी वो कभी रूठी बैठी सी
कभी मेरी उदासी थी कभी वो तेरी उदासी थी
ख़ुशी वो बिखरी बिखरी सी …… २

वो बीत गया वो वो अब भी रह गया
कभी तूने कदर ना जानी अभी मैने ना जानी
ख़ुशी वो बिखरी बिखरी सी …… २

वो तब भी बिखरी थी वो अब भी बिखरी है
ख़ुशी वो बिखरी बिखरी सी …… २

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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