ADD

जुड़ी है दो साँसों की डोर



 जुड़ी है दो साँसों की डोर

जुड़ी है दो साँसों की डोर सांसों के साथ
मन और तन मस्तिक संग क्या बोले बोल
जुड़ी है दो साँसों की डोर

धड़कता है दिल ना जाने क्यों धड़ धड़ कर
रक्त बहता रहता धमनियों की ओर करे ना कोई शोर
जुड़ी है दो साँसों की डोर

दो छिद्र नाकों के आँखों के दो गोल
कर्ण सुनते रहते हथेली संग वो इशारे बुनते रहते
जुड़ी है दो साँसों की डोर

मांस का लोथड़ा चला दो टांगो और हड्डियों ,फेफड़ों के जोर
हाथों को वो खींचे कभी दांयें कभी बांयें हवाओं के जोर
जुड़ी है दो साँसों की डोर

पेट का जोड़ा नाभि संग तोला है छाती में फुला है
भूख के मारे अब वो घुटने टिका वो माथा झुका है
जुड़ी है दो साँसों की डोर

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
.
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ