देख ना उदास हो
देख ना उदास हो
जब तू ही उसका दास
हो अ अ जब तू ही उसका दास
देख ना उदास हो
देखो धरा है ये हरी भरी
वनों मे मीठी मिसरी घुली पड़ी
मदमाते झरते झरनों का साथ दे
यूँ ना तू हताश हो .......देख ना उदास हो
दूर देखा वो रास्ता जा रहा
तेरा गाँव शायद तुझे बुला रहा
देख वंहा मेढ़ा पर बैठा कोई
अब भी तेरा पथ निहार रहा .......देख ना उदास हो
छोड़ तू ये उदासी अब
अब अपने दिल को हाथों से थाम ले
पूछ ले एक बार खुद से तू
क्या पाय तूने ये धरा छोड़ के .......देख ना उदास हो
देख ना उदास हो
जब तू ही उसका दास
हो अ अ जब तू ही उसका दास
देख ना उदास हो
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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