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अब ये ही पहाड़ है



अब ये ही पहाड़ है

कितना सुंदर कितना प्यारा
ये पहाड़ हमारा
कल कल करती बहती गंगा धार
ये कुमौ- गढ़वाल हमारा
कितना सुंदर कितना प्यारा
ये पहाड़ हमारा

हरी का द्वार है कैलाश का घर है
ऋषि मुनियों की तपो भूमि है
ये पहाड़ हमारा
खुला आकाश है खिला हर बाग है
यंह विरजे धाम बद्री-केदार है
ये पहाड़ हमारा

मीठे फल है खिले फूल हैं
मीठी यंहा की बोली इमानदर लोग हैं
ये पहाड़ हमारा
माँ का प्यार हर गाँव भगवती वास है
घर घर कुल देब्तों का निवास है
ये पहाड़ हमारा

फिर भी ना जाने क्यों यंहा
कंहा से आया वो काल है
खाली गाँव उजड़े घर बंजर भूमि
अब ये ही पहाड़ है
दूर देखती निगाहें
किसको रुलाती बुलाती ये बाहें
किसका अब इसे इन्तजार है
अब ये ही पहाड़ है

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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