कु आलू साथ मेरा
कैथे समझाण जी
मील
कैल मेरु बोल्यू माण जी
जब मेरु जीयु बी
मेरु ही नि राई
कैथे हक देन
मील
कैल मेरु दगड आण जी
जब ये गीची मेरी
अपरी ही बखान कैरदी रैेई
कैथे बुलाण
मील
कैल दौड़ी की आण जी
जब ये खुठी कभी भैर नि गैई
कैक दुःख आँखा नि पूछी
कैथे समझाण जी
मील
कैल मेरु बोल्यू माण जी
जब मेरु जीयु बी
मेरु ही नि राई
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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