जब अपरा अपरा नि राई
जब अपरा अपरा नि राई....... २
कै मुख से मि करूँ अपरू किं बड़ाई
देख्दा विपदा दूर खड़ा रैगैनि आंखी
टिप टिप पौड़ी कै बाना
किले कन जिकड़ी तिन इन बैमानी
जब अपरा अपरा नि राई....... २
कै मुख से मि करूँ अपरू किं बड़ाई
सुख मिली सब दौड़ी ऐना
जब दुःख ऐ सब बौडी गेना
बाप दादों गंठया बिकी गैनी सब गैना
जब अपरा अपरा नि राई....... २
कै मुख से मि करूँ अपरू किं बड़ाई
एक तू ही छे ना दुजु नि क्वी ई
जीकोडी मेरी बेटी तू ही मेरी भूली
छोड़ी गैंन सब तिल मी थै नि छोड़ी
जब अपरा अपरा नि राई....... २
कै मुख से मि करूँ अपरू किं बड़ाई
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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