ADD

दो रास्तें


दो रास्तें

दो रास्तें सामने मेरे
कौन से राह पर अब मै चलों

मुश्किल में मै परेशां भी मै
जाअों किधर हैंरा भी मै
ना बढ़ते कदम सांसों का दम
भरते रहे भरते रहे

सुख भी मेरे दुःख भी मेरे
कौन से पल बता अब मै चुनों

आंसूं हंसे आँखे नम
सरगम की धुन कैसे गुम
चुनों किसे कुछ ना छूट जाये
देखों दोनों को में एक भी ना रूठा जाये

आता है कल बह जाता है कल
बहते कल में से किसको भरों

तस्वीर मेरी बड़ी बेरंग
इन उजाड़ों में कैसे भरो रंग
देख एक भी रंग ना टूट जाये
वो सपना मेरा खिलता जाये

दो रास्तें सामने मेरे
कौन से राह पर अब मै चलों

ध्यानी प्रणाम

एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ