लुक्युं रोलू ऊँ चलूँ
लुक्युं रोलू ऊँ चलूँ
आँखा भ्तेक भुंया ना पौ डू
माया भोरि संभाली ले
अपरा अंग्वाल समैई ले
कुटुंबदरी जिम्मेदरी
बोई आच खुद भांड्या आणि
लुक्युं रोलू ऊँ चलूँ
आँखा भ्तेक भुंया ना पौ डू
एक लेन्दा गौडू
बिस सेर अन्नाज कु पुंगडु
बुकि तिसि पुट्गी
बस चवलों को मांडू
बचे राखी सेर
मि आणु छों घारू
लुक्युं रोलू ऊँ चलूँ
आँखा भ्तेक भुंया ना पौ डू
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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