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एगो हरेला ऐ ऊकाल


एगो हरेला ऐ ऊकाल

जी रया जागि रया
एगो हरेला ऐ ऊकाल

आषाढ़ एगो हरेला छैगो
जस ऊँच्चा आक्स

गौं घार माथा बिरजो हरेला
कपाल हल्दू चवलों साथ

सिल पीस भात खैई
लकड़ु कु टेका खुठों साथ

दुब जस पसरी जैई
मेरा मुल्का कु रीती रिवाज

जी रया जागि रया
एगो हरेला ऐ ऊकाल

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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