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बस्ग्याल को मैना किले तिल काल रूप धैरा


बस्ग्याल को मैना किले तिल काल रूप धैरा

बस्ग्याल को मैना किले तिल काल रूप धैरा
कंन उथल पुथल मची च ऐबार ये मेर पहाड़ा
किले की उठनी च इनि ये बोई गंगा की धारा

बादल कीले बीरडया किले की इन चिरडया व्हाला
फटना छन बोई किले ऊ ऐकी ये मेर पहाड़ा
किले की उठनी च इनि ये बोई गंगा की धारा

कु जैन कै बगता कब कै कु काल ऐ जैई
नि ठिकाण नि खबर कैथे अब ये मेर पहाड़ा
किले की उठनी च इनि ये बोई गंगा की धारा

डरी डरी जिकोड़ी च सिन्कोली ऐ जा डेरा
डेरा की बी च खैर निच कया व्हैजालु ये मेर पहाड़ा
किले की उठनी च इनि ये बोई गंगा की धारा

बस्ग्याल को मैना किले तिल काल रूप धैरा
कंन उथल पुथल मची च ऐबार ये मेर पहाड़ा
किले की उठनी च इनि ये बोई गंगा की धारा


एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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