ऐगे दिन चली गैनी
कण मेरु भाग
ऐगे दिन चली गैनी कैकु दैन हाक
ये उन्दरु की बाट अ
कण मेरु भाग
कया दिन च कया बार
कु जैनी कु बथालु मी ये भगयान
कु देलू आखर ज्ञान
इन मेरु भाग
बैठी छों मी हेरदी
काली राता का ये गेना घेरदी
कु चढलू उकालु
कण मेरु भाग
अगंवाल भेंटि जा रे
सिन्कोली तू परती की आ रे
कु आलू ये दार अ
इन मेरु भाग
कण मेरु भाग
ऐगे दिन चली गैनी कैकु दैन हाक
ये उन्दरु की बाट अ
कण मेरु भाग
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ