बिंदी मेरी
बिंदी बिंदी बिंदी मेरी चम चमकी
कपला ये हिंवाल पहाड़ मा तू कन दमकी
बिंदी बिंदी बिंदी मेरी चम चमकी
बिन्सरी बेला की रीत ये अबोला की
उजाळु ऐंदू जांदू जी अंधेरु छैटू जांदू जी
अदमुख इनि लागि वा बद्री-केदार का घारा जी
बिंदी बिंदी बिंदी मेरी चम चमकी
कपला ये हिंवाल पहाड़ मा तू कन दमकी
बिंदी बिंदी बिंदी मेरी चम चमकी
फूलों फुलेरा जी गद्नियों बगेरा जी
डंडी कंठी हैरी चमकनी खोलों तक चमकेरा जी
उठी जा जागी जा सियां रे ऐगे सुबेरा देबता जी
बिंदी बिंदी बिंदी मेरी चम चमकी
कपला ये हिंवाल पहाड़ मा तू कन दमकी
बिंदी बिंदी बिंदी मेरी चम चमकी
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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