ह्युं चलूं
देक देकि ले ये गोरी कंठी
छजा बैठी की हैरी डाली
देबता म्यारा सुनि लिंवा
मनखी थे मेर बिंगी लिंवा
ह्युं चलूं..... ३
स्वेत रंग रंगी ये डंडी कंठी
क्द्गा स्वाणी देकें दी ये ह्युं चांटी
मेरा घर मेर पाडा बिजी जावा
फजल ऐगे यख झट ऐ जावा
ह्युं चलूं..... ३
देकदा देकदा हर्ची जैंऊँ
ये उकाला मा बिसी जैंऊँ
राती की झौल पोड़ण से पैल
म्यार अपड़ा परती आवा
ह्युं चलूं..... ३
देक देकि ले ये गोरी कंठी
छजा बैठी की हैरी डाली
देबता म्यारा सुनि लिंवा
मनखी थे मेर बिंगी लिंवा
ह्युं चलूं..... ३
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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