अद राति मा
आच अद राति मा
नींदि तुटी गैई
झन कया बात व्हाई
नींदि पूरी नि व्हाई
जुन कि जुन्याली
मेर निंद हर्ची गैई
कया व्हाई अचाणचक
समझ मा नि ऐई
ऐ जब भि
सुप्निया ऊ मुखडी
स्वणि सुप्निया
थे बि वो छोड़िगेनी
आच अद राति मा
नींदि तुटी गैई
झन कया बात व्हाई
नींदि पूरी नि व्हाई
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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