वो च तेरु गैल्या
परै वहैकि जो परै नि लगदु
विपदा पीड़ा मा जौ बस खैरि जपदु
सुख मा अपरी आप मिसळी जांदू
दुःख मा अग्ने त्यार देकि जांदू वो च तेरु गैल्या
बालपना कु तेरु साथी
जवनि मा बि ऊ तेरु दगडी
बुढया मा बि ख़ैष्णु ते संगत
कबि नि छोड़ी वैल ते दगड पंगत वो च तेरु गैल्या
खटी मीठी ईमली कु ऊ स्वाद
तेरु मनखी को तेर सरीर कु अरदु वो भाग
हैंसी तिल वैल बि तेर खुश मा हैंसेल
रुलों तेल वैल ते थे जीकोडी लगे कि बथेण वो च तेरु गैल्या
कूच नाता बधण रेंदा पर वो सब खरा नि हुँदा
बधण नाता संभलण पड़दा कुछ संभळीक बि नौ का रेंदा
और्री कूच अपरू आप जपतात
और्री अखरे तक तयार दगडी हिटदा वो च तेरु गैल्या
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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