ADD

लौटूं किस तरह आज पीछे




लौटूं किस तरह आज पीछे

हवाओं ने लकीरें आज मिटा दी हैं
किनारों ने मिलना बता दिया है
अब वंहा दूर देखो अब होगा मिलन अपना
बस जमीन,आसमान मिलना बाकी है

कदम बड़े मेरे उस ओर
जंहा लहरों ने दिया था साथ मेरा
खड़ा हूँ आज मैं वंहा
जंहा लहरों ने साथ देना छोड़ दिया

हवाओं ने लकीरें आज मिटा दी हैं
किनारों ने मिलना बता दिया है
अब वंहा दूर देखो अब होगा मिलन अपना
बस जमीन,आसमान मिलना बाकी है

रोका हूँ उस जगह आज मैं
पीछेे क्या छूटा साफ़ साफ़ नजर आ रहा
लौटूं किस तरह आज पीछे
साथ दिये लहरों के विरुद्ध लड़ना बाकी है

हवाओं ने लकीरें आज मिटा दी हैं
किनारों ने मिलना बता दिया है
अब वंहा दूर देखो अब होगा मिलन अपना
बस जमीन,आसमान मिलना बाकी है

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ