अभी रोको मुझे ना तुम ऐसे जाने दो
अभी रोको मुझे ना तुम ऐसे जाने दो
चला जो गया मै ऐसे फिर मेरा लौटना मुश्किल है
अभी रोको मुझे ना तुम ऐसे जाने दो
दे दो मुझे इन दो नर्गिसी आँखों का सहारा
देख छूटा ना जाये मुझसे वो मेरा किनारा
अभी रोको मुझे ना तुम ऐसे जाने दो
गले लगा लो मुझे अपने से तुम ना दूर करो
एक शब्द का वो हर्प है बस तुम उसे काबुल करो
अभी रोको मुझे ना तुम ऐसे जाने दो
अभी रोको मुझे ना तुम ऐसे जाने दो
चला जो गया मै ऐसे फिर मेरा लौटना मुश्किल है
अभी रोको मुझे ना तुम ऐसे जाने दो
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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