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वो डाक ना आया




वो डाक ना आया

आज बहना तेरी याद बहुत आयी
रह गई इस परदेश में इस दूर देश में
मेरी सुनी कलाई
वो डाक ना आया

आँखों ने देख रंगोली सजायी
चिठ्ठी के भेस ने लगा दी ठेस मुझे
ना डाकिया आया ना कोई डाक
मेरी सुनी कलाई
वो डाक ना आया

कुछ तो कारण होगा
ये मेरा और उसका निर्धारण होगा
ऐसा भी ना गया कोई साल जैसा इस साल
मेरी सुनी कलाई
वो डाक ना आया

रहे जंहा तू खुश रहे
मेरे दिल की हर एक एक साँस कहे
तेरा धाग इस दिल से बंधा है हर दिन हर बार
मेरी सुनी कलाई
वो डाक ना आया

चमकी है कलाई दो बूंदों से
अश्रूं के इन टिप टिप फूलों से
रक्षा का कर वादा प्यार मेरा तेरे साथ मेरा वादा
मेरी सुनी कलाई और
वो डाक ना आया

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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