दोई आखर बचा दे
दोई आखर बचा दे
जिकोड़ी मेरी मेसे तू छुईं लगादे
अपरी अपरी मा रमजा
यख वख इन ना तू गमजा
दोई आखर बचा दे
जिकोड़ी मेरी मेसे तू छुईं लगादे
कैल नि आन अब
घैल कै की तेथे ये जियू मेरु
बरसी कै की तप तज
यकलु रैगे तू टप टापरानु
दोई आखर बचा दे
जिकोड़ी मेरी मेसे तू छुईं लगादे
छम छम भैगे धारा
इन निर्भगी आंख्युं थे दे दे तू ठारा
सदनी चकलता रैगे
कै की ये परानु तू बाट हेरदी रेगे
दोई आखर बचा दे
जिकोड़ी मेरी मेसे तू छुईं लगादे
दोई आखर बचा दे
जिकोड़ी मेरी मेसे तू छुईं लगादे
अपरी अपरी मा रमजा
यख वख इन ना तू गमजा
दोई आखर बचा दे
जिकोड़ी मेरी मेसे तू छुईं लगादे
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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