गारा तू ढुंगा बण जा
रै जाली कण कै
यख सदनि कू तेरु निशाण
गारा तू ढुंगा बण जा
अपरी ही एक दिनी ऊ बण जालु पहाड़
रै जाली
खते जा यख ये माटा मा तू इनि
बीज ब्याणा बण पसर पसरी की
हैरा भैरा बोग्याळ बण जा
अपरी ही एक दिनी फूली पाकी वो जाला
खते जा
जयादा नि सोची
भौल कया यख तिल खोजी
हर्च्यनु मा ही यख मौज च भैजि
भौल ना बोल की मिल ना बोली
जयादा नि
रै जाली कण कै
यख सदनि कू तेरु निशाण
गारा तू ढुंगा बण जा
अपरी ही एक दिनी ऊ बण जालु पहाड़
रै जाली
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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