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कुछ तो अपने आप से निकलेगा


कुछ तो अपने आप से निकलेगा

कुछ तो अपने आप से निकलेगा
एक दिन ये समय सबका बाप निकलेगा
कुछ तो अपने आप से निकलेगा

रहे मदहोशी में अक्सर मेरे बहके कदम राहों पर
बहुत तकलीफ होगी मुझे जब ये मेरा दम निकलेगा
कुछ तो अपने आप से निकलेगा

काफी दुश्मनी निभा दी अपने आप से हमने इस कदर
जब दोस्ती होगी खुद से ही तब अब हम से शक ना निकलेगा
कुछ तो अपने आप से निकलेगा

रहे अपने आप में खोये हम यूँ ही उम्रभर सपनों में
जब नींद टूटी जागे हम पर लगता है अब ये भ्रम ना गुजरेगा
कुछ तो अपने आप से निकलेगा

करते रहे मनमानी अपने जीवन से सुबह शाम
आखरी रातों के सफर में उन संग तेरा संग ना निकलेगा
कुछ तो अपने आप से निकलेगा

कुछ तो अपने आप से निकलेगा
एक दिन ये समय सबका बाप निकलेगा
कुछ तो अपने आप से निकलेगा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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