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सै जा रे



सै जा रे

सै जा रे सै जा रे सै जा रे
उठ्नु किले छे
कूच काम निच
बिना आटा दाला कु दाम निच
उत्तराखंड जनि कु धाम निच
तू सै जा रे सै जा रे सै जा रे

ना नियम च ना तेर पता
तू छे बस यख अलबत्ता
९ नवंबर २००० हजार जन्मी
१४ बरस वहगेने अब बी तू हर्ची
तू सै जा रे सै जा रे सै जा रे

राजधानी कु तेरु नौ निच
अपरा शहीदों कु बी डौर निच
कंन मची च ये घपला घप्ली
कच्ची तेर कप्ली फूटी तेर ढुंगी
तू सै जा रे सै जा रे सै जा रे

लमलेट सब नीरजक हुंया छन
पसरा पसरिक गिरिजक हुंया छन
चली तेर इनि पाड़ों नेतागिरी
सामसुम पाडा सब गौं रीता हुंया छन
तू सै जा रे सै जा रे सै जा रे

अब जगनू जगाणु क्वी
ये का माल थे खुभ दबानो क्वी
हलचल न कैर टूट जैली नींदि
पांच बरसा की जब चढ़ेगैली भेंडी
तू सै जा रे सै जा रे सै जा रे

सै जा रे सै जा रे सै जा रे
उठ्नु किले छे
कूच काम निच
बिना आटा दाला कु दाम निच
उत्तराखंड जनि कु धाम निच
तू सै जा रे सै जा रे सै जा रे

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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