पत्थर पर लिखी
देख खोने ना देना
देख रोने ना देना
अपने को और अपनों को
तू ही तो वो सहारा
बिन तेरे ना दिखता किनारा
आँखों से ना ओझल होने देना
सपना जो तेरा वो मेरा
देख खोने ना देना
देख रोने ना देना
अपने को और अपनों को
पत्थर पर लिखी तकदीरें
छपी वंहा तेरी मेरी तस्वीरें
मिलकर है सब रंग भरना
देख कंही अकेला ना चलना
देख खोने ना देना
देख रोने ना देना
अपने को और अपनों को
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ