अब
मन ना लगे
अब अंतर मन
जल थल
अब सबका जीवन
अकेला खड़ा
अब प्रश्न पड़ा
अछूता ना कोई
अब सबको छुआ
घिर घिर वो
अब धरा गिरा
मन ना लगे
अब अंतर मन
जल थल
अब सबका जीवन
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ