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आवाज आयी कानों में


  आवाज आयी कानों में

आवाज आयी कानों में इन खेत और खलिहानों में
गरीब क्रांति का रथ चला ये मेरे पहाड़ों में

चल चकबंदी का संदेश फैला गीत मेरे
मेरे पहाड़ों के किसानों किसानों और जन जन के कानों में

आवाज आयी कानों में इन खेत और खलिहानों में
गरीब क्रांति का रथ चला ये मेरे पहाड़ों में

पलायन रोकने का चकबंदी एक मात्र तरीका है
खुशहाल होगा मेरा पहाड़ उन आशा की निगाहों में

आवाज आयी कानों में इन खेत और खलिहानों में
गरीब क्रांति का रथ चला ये मेरे पहाड़ों में

चल एक आवाज तो भी उठा चल कदम से कदम मिला
इस जन क्रांति में तो पहले अपना नाम लिखा

आवाज आयी कानों में इन खेत और खलिहानों में
गरीब क्रांति का रथ चला ये मेरे पहाड़ों में

आवाज दे रहा गाँव तेरा खेत और खलिहान तेरा
इस बंजर को फिर उपजाऊ बना मट्टी से सोना उगला

आवाज आयी कानों में इन खेत और खलिहानों में
गरीब क्रांति का रथ चला ये मेरे पहाड़ों में

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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